11
February 2015
13:32
-इंदु बाला
सिंह
बड़ा
मन करता है चलूं
ढूढूं
अपने बिछड़े
रक्त-सम्बन्धों को
पर
मन के उछाल पर
डाल देती हूं
पानी के छींटे
........
पासवाले कितना
प्रिय हैं तुझे
कि
चाह है तुझमें
दूरस्थ गुमे हुये रिश्तों की |
बस ताकते से
रह जाते हैं पुराने गुमे हुये चेहरे
मुझे
स्थिर आँखों
से
और
कहानी बस
अधूरी ही रह जाती है |
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