04
February 2015
10:22
-इंदु बाला
सिंह
गर अपने हिस्से का सुख
बांटने काबिल
न समझा मुझे
तो आज क्यों
आया तू
बांटने
अपना दुःख .....
मैं न ढोऊं
तेरे दुःख की
पोटली .....
कहा उसने और
मुंह मोड़ ली थी वह
शायद
उसका मन रो
रहा था
कहते हैं न
समय लौटता
नहीं
पर
वह अनुशासित
शिक्षक की तरह हमें सिखा जरूर जाता है
और
सही छात्र
अपनी गलतियां दुहराता नहीं
आगे बढ़ चला था
मैं
बहुत कुछ पाठ
याद करते हुये |
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