गुरुवार, 16 अगस्त 2012

छोटी कवितायेँ - 1

   धूप छाँव  

नहीं सुहाती
हर आने जाने वाले के सामने निज पुत्र गुण गाती
मुश्किल से चल सकनेवाली
बेटी संग रहनेवाली माँ  |
   

पुत्र और पुत्रवधू का आगमन
कलेजा चौड़ा कर देता है  माँ का
आखिर बेटा आया है सपरिवार
कितनी मान की बात है |
पुत्र की गलतियां निकालने का सत्साहस
एक बहुत बड़ा मानसिक बल है
जिसका अभाव है
महिलाओं में |

आजीवन भाईयों भाभियों
माता पिता के कलेजे पे
मूंगदलती काया ने चोला छोड़ा
....खाली कर दिया
मैंने तुम्हारा कमरा ......
इतना ही निकला मुंह से
और प्राण पखेरू उड़ चले |

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