नहीं किसी पिता में
मनोबल
देने का समान
अधिकार
संपत्ति में
फिर भी कहें
मेरे लिये
एक समान बेटा बेटी |
अरे भई !
ये तो फैशन है
प्रगतिशीलता
का
क्यों दें सम्पति बेटी को
दूसरे
का घर क्यों धनी बनाएँ
इतने
मूरख तो हम नहीं |
बेटी
न डाले गंगाजल मरते समय
न दे
मुखाग्नि
न हरे हमारा
दुःख
एक से अधिक
बेटी न चाहें हम
कौन पाले
उन्हें
फिर
दान करे दूजे को |
आजीवन
बेटी
की सुरक्षा के लिये चिंतित मन
तड़पता ही रह
जाता
मुंह सदा
कुम्हलाया रहता
जीने का हक
बेटी के पिता
को भी है
अब
न ढोएगा वो बेटियों का बोझ |
बेटियों से न चलता वंश
बेटियों की
समस्या
कितना
सुलझाएं
उनकी संतान हम
न पहचानें
एक बेटी बहुत
बेटे चाहे हों चार
पुण्य न मिले
जो न कर पायें कन्यादान |
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