बुधवार, 8 अगस्त 2012

हाईकू - 19





      प्रेम              



प्रेम है इत्र
छिडकें खुद पर
सम्भ्रांत लोग |

मान ले प्रेम
को धूरी जीवन की
सुखी होगा तू |

सुखद छाँव
तपते जीवन की 
प्रेम ही है |

प्रेम कुछ है
सब कुछ तो नही
न भूल कर्म |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें