बुधवार, 29 अगस्त 2012

नाम होता हमारा


काश !
हमें मिलती
एक कोच
कुश्ती की
हम भी चखाते मजा
सासु माँ को
घर में दंगल चलता
कितना मजा आता
पतिदेव !
कोने में सहमें से
बैठे रहते
मुहल्ले में
रहती चर्चा हमारी
घर में होते इतने दबंग कि
कोई खोल दे दरवाजा तो
कर्जदार भागें उलटे पैर
नाम होता हमारा
फलां की बीबी से बचियो जी |

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