सफ़ेद यूनिफॉर्म
में
सुबह के धुंधलके
में
बस स्टैंड तक
बच्चे पहुंचाती माँ को भी
आज का दिन
अनोखा लगने
लगता है
फिर आज तो बच्चे राजा हैं |
बच्चों से भरी
विभिन्न विद्यालयों
की बसें
एक के बाद एक
पीं
पीं ......हार्न बजाती
गुजरने लगती हैं
तो बिस्तर में सोये पिता
बौखला उठते हैं ..
ओफ्फ !
पौ फटी नहीं कि
रंग
बिरंगी झंडियों से सजा
विद्यालय का प्रांगण
छात्रों और शिक्षकों
के कोलाहल से
गूँज उठता है |
झंडोत्तोलन के बाद
राष्ट्र गान
मार्च- पास्ट
भाषण , गीत , कविता पाठ
हुआ नहीं कि
भर जाती हैं बच्चों की मुठ्ठियाँ
लड्डूओं
से |
बसों में बैठ बतियाते
घर लौटते ये बच्चे
खुद को कुछ खास समझने लगते हैं
शिक्षक भी
क्यों कि इस सात बजे के समय लोग
उन्हें रोज की तरह
घरों में ही
दिखाई देते हैं
सच कहूँ
मोहे भावे
विद्यालय
का स्वाधीनता दिवस |