गुरुवार, 10 मार्च 2016

अतृप्ति


11 March 2016
07:40



-इंदु बाला सिंह




अपमान और अभाव के आक्रोश से भरा मन
जलता है रेगिस्तान सा ...........
हैरत होती है
आखिर क्यों नहीं बुझती है यह आग
यह कैसी अतृप्ति है जो राख नहीं बनती |

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