बुधवार, 9 मई 2012

मकान है घर


ज्ञान पिपासा
जहां भी ले जाये मुझे  
भूलूँगा  न रिश्ते नाते कभी |
वैश्वीकरण तो ठीक है
पर सदा याद रखूँगा
पहचान है मेरी  देश, जाति और धर्म ही |
मकान तो बहुत बन जायेंगे
घर बनाना आसान नहीं
इसलिए कभी न भूलूँगा घर मैं |
यह मकान है घर मेरा 
बातें करती हैं मुझसे दीवारें
कितना कुछ है सिखलाया इसने |
मैं हूँ इसका एक कानूनन हकदार
मिले मुझे यह तो कोई गम नहीं
यह सदा रहेगा मेरा मेरी यादों में |

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