शुक्रवार, 25 मई 2012

हायकू - 9


कुछ तो चाहे
प्रतिदान श्रम का
मानव मन |

न कर मान 
वक्त डरे तुझसे
बांध तू मुट्ठी |

स्वप्नदर्शी ही
सदा करते श्रम
छूते आकाश |


नाव न बाँधो
आज नाविक तीर
जाना है दूर |

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