रविवार, 27 मई 2012

तांका - 1


बीमार तन
याद दिलाये कल  
है वो निरीह
क्या पता क्या ताकता
कल का अग्नि-पुंज |

वक्त से युद्ध
में घायल सिपाही
पड़ा घर में
कराहे निशदिन
देख जरा विधान |


क्या करूं भाई !
बुढापे में बीमारी
नर्क में ही हूँ
स्वावलंबन गया
न भोगे कोई ऐसा |

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