बुधवार, 2 मई 2012

अंकुर


किसी का दिमाग मारने से बड़ा
अपराध कोई नहीं |
समय देगा सजा
उसकी |
मजबूरी जो कराये वो थोड़ा
पर आदमी वही जो शोषित का मन पढ़े |
अब कोई अभिमन्यु प्रवेश करेगा चक्रव्यूह में
जिसे ज्ञान हो बाहर निकलने का |
पिता का विलाप
नाश लाएगा धरा पर |
आईये गरीबी को आभिशाप
वरदान बनाएँ हम |
अभावग्रस्त को
अब राह दिखाएँ हम |
प्रतिभा अंकुरित  होती कम जल में
क्यों न उसे वृक्ष बनने का साधन जुटाए हम |

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