किसी का दिमाग मारने से बड़ा
अपराध कोई नहीं |
समय देगा सजा
उसकी |
मजबूरी जो न कराये वो थोड़ा
पर आदमी वही जो शोषित का मन पढ़े |
अब कोई अभिमन्यु न प्रवेश करेगा चक्रव्यूह में
जिसे न ज्ञान हो बाहर निकलने का |
पिता का विलाप
नाश लाएगा धरा पर |
आईये गरीबी को आभिशाप न
वरदान बनाएँ हम |
अभावग्रस्त को
अब राह दिखाएँ हम |
प्रतिभा अंकुरित होती कम जल
में
क्यों
न उसे वृक्ष बनने का साधन जुटाए हम |
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