गुरुवार, 3 मई 2012

नारी


नारी !
तू तब तक अबला है
जब तक तू ढूंढती सहारा
सबल का |
तेरे अंदर ही है आग
आत्मविश्वास की
कोई नाता नहीं तेरा |
जीवनसाथी है
तेरा मित्र
पर नहीं सदा सहारा |
तुझे सुख- सुविधा पहुंचाने को
है आतुर तुम्हारे कष्ट मिटाने को
घिस रहा दिनों- दिन वो |
कोंच उसे
बाप भाई का गुण गा
और कर उसका अपमान |
मात्र पितृत्व का सुख दे उसे
तू नहीं हकदार
सदा अपनी सुविधाओं की |
अर्थ उपार्जन है 
तेरा भी कर्तव्य
हक है तेरा भी पिता की सुविधाओं में |
किसी की सौम्यता का
दुरूपयोग भी है
एक पाप |
नारी तू सदा है
सबला
देश तेरे साथ है |




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