शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

आग पर चलती लड़की


टूटे घर की भटकी आत्मा
सुरक्षा और प्यार की तलाश में
कूद जाती है समंदर में
इस दृढ़ विश्वास के साथ
मिल जाएगा मोती |
कटु मुस्कान की यह पात्र
भाग कर घर बसायी हुयी लड़की
आजीवन आग पर चलती
अग्नि- परीक्षा देती रहती है
पति , पुत्र , पुत्री , समाज को |
यही है वो शक्तिपुंज
जिसे है नमस्कार करते 
निर्विकार नाते अपनी स्वार्थसिद्धी के लिए
लेकिन उसे नहीं पहचानता कोई
अगर वो पडी कभी मुसीबत में |
इस दहेज राक्षस से लड़नेवाली के लिए
है समाज सदा खड़ा रहता
हाथ में दोधारी तलवार लिए
और अपने पहन कर बैठे रहते हैं
धिक्कार की पोशाक |

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