My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी,
कहानियों का पेड़,
ek chouthayee akash,
बोलते चित्र,
Beyond Clouds,
Sansmaran,
Indu's World.
रविवार, 28 फ़रवरी 2016
गली का आवारा
-इंदु बाला सिंह
सूंघ कर ........ देख कर ....... चोर पहचानूं
गली में घुसने न दूं कोई अजनबी
घरों की बची रोटी से पेट भरूं
रक्षक हूं गली का
फिर भी
कहलाऊं मैं ....... आवारा ....... कुत्ता ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें