11
February 2016
07:11
-इंदु बाला सिंह
हमारे
मस्तिष्क में
हमारे
अंतर्मन की आवाज ही मुखरित होती है
और
हमें वही
सुनायी देती है ........
आस पास तो
मात्र फुसफुसाहटें रहतीं हैं
जिसे हम अपने
मनोबल के अनुसार ग्रहण करते हैं ..... जीवन में आगे बढ़ते हैं |
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