रविवार, 14 फ़रवरी 2016

हतप्रभ है क्यूं तू



-इंदु बाला  सिंह


जिंदगी एक शतरंज है प्यारे
खेल ले
तू जी भर के
आज हतप्रभ है क्यूं
तू
चल आगे बढ़
चला न तू अपना मोहरा । 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें