-इंदु बाला सिंह
सूंघ कर ........ देख कर ....... चोर पहचानूं
गली में घुसने न दूं कोई अजनबी
घरों की बची रोटी से पेट भरूं
रक्षक हूं गली का
फिर भी
कहलाऊं मैं ....... आवारा ....... कुत्ता ।
My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी, कहानियों का पेड़, ek chouthayee akash, बोलते चित्र, Beyond Clouds, Sansmaran, Indu's World.