#इन्दु_बाला_सिंह
जहां भी रहूँगी
आऊँगी मैं दीया रखने
अपनी देहरी पर
तू नहीं रोक सकता मुझे
ये मेरी नींव है
इस नींव में मेरी आत्मा बसती है
सदा बारूँगी दीया मैं
न भी रही
तो
सदा बरूँगी मैं दीया बन अपनी देहरी पर
तृप्त होने पर ही जाऊँगी
मैं
अपनी देहरी से ।
21/10/24
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें