- इंदु बाला सिंह
कूड़ा फेंकने के लिये एक दिन बना ईंटों की जोड़ाई से बना घेरा .......
मेरे घर के सामने कूड़ेदान बनेगा ?
एक दिन
थोड़ा टूटा कूड़ेदान ....
और कुछ दिनों में अनधिकृत बस्तीवाले उठा ले गये ईंटें .......
अच्छा हुआ
कचड़ा चुननेवालों को आसानी हो गई ........
पूरे सड़क पर कचड़ा बिखरा रहने लगा
कुत्तों को भी कचड़े से खेलने के लिये विस्तृत जगह मिल गयी .......
अबकी कूड़ा फेंकने के लिये से क्रेन से ला कर रखे गये बड़े बड़े डस्टबीन ......
कचड़ा चुननेवाले और कुत्ते हार न माननेवाले थे
वे सूर्योदय से पहले ही कूद जाते थे
इस नये पांच फिट ऊंचे , चार फ़ीट चौड़े और दस फ़ीट लम्बे डस्टबीन में .......
कचड़ा अब भी सड़क पर बिखरा रहता था ........
कुत्ते , कचड़ा चुननेवाले और डस्टबीन रखनेवाले तीनों लगे थे अपने अपने कामों में
तीनों के जीने का जरिया कूड़ेदान था ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें