शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

व्यवस्था आपने बनायी है

कुछ ऐसा कर जाइये
अपनी औलादों को जोड़ जाईये
समय तो मुट्ठी में हमारी
उसे न दोष दीजिये
हम ही अपने भाग्य विधाता
इतना याद रखिये
गलतियों के बीज न बोइये
दूसरों को सुधारने से पहले आप
स्वयं को सुधारिए
भाई छले भाई को या फिर बहन को
यह गुन सीखा कहां पुत्र ने
यह तो बतलाइए
समाज को क्यों दोष देते
व्यवस्था को क्यों दोष देते आप
विचारधाराएं तो आपने ही बनाई है
हर कर्म घर से शुरू होता
कर्मफल भोगने से न घबराइए |

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