10 August
2015
07:03
-इंदु बाला
सिंह
मिटते नहीं
अपनों
से मिले घाव के दाग
लाख
जतन कर चमका ले तू चमड़ी ........
सिले
मन के टांके
खुल ही जाते
हैं
समय के
अंधियारे में ........
ब्लैक होल के
करीब पहुंचते ही
कभीकभार
पारदर्शी आंखों में दिख जाता है
अर्जुन को
समूचा
ब्रम्हांड |
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