गुरुवार, 13 अगस्त 2015

काश ! मिलतीं पुस्तकें


13 August 2015
16:24


-इंदु बाला सिंह


घरों से
शनिवार को मिलता है
चावल या पैसे
किसी किसी त्यौहार में तो पुराने कपड़ों के गट्ठर
दिखते हैं सड़क पर .... अभावग्रस्त ........ परिवार से प्रताड़ित अपने
काश !
एक दिन ऐसा होता
जब
दान में मिलतीं
घरों से
पुस्तकें .....कहानियों की
और
दिखते सड़क पे ..........सपनों के भूखे |

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