शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

वह भूखा है



- इंदु बाला सिंह

प्रेम आसमानी  बादल है भूखे के लिये
भूख की बिलबिलाहट में उड़ जाते हैं कहीं दूर ये बादल और बरस जाते हैं तृप्त घरों में   .....
भूखे को तो बस  ....  काम चाहिये
स्वाभिमान  से भरी  रोटी चाहिये
भूखे का  दिवास्वप्न भी उसकी नौकरी है    ........
वह जानता है कि नौकरी ही   उसकी  पहचान है। 

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