- Indu Bala Singh
सड़कें
सज रहीं हैं
नये लिबास धारण कर रहीं हैं
छायादार हो रहीं हैं
पैदल और दुपहियावालों को सुकून दे रहीं हैं
बदरंग हो रहे हैं बगल के मकान ...... पर साँसे चल रहीं हैं इन घरों में .......
चमचमाते मकानों की गिद्ध दृष्टि लगी है ...... घरों पे ।
सड़कें
सज रहीं हैं
नये लिबास धारण कर रहीं हैं
छायादार हो रहीं हैं
पैदल और दुपहियावालों को सुकून दे रहीं हैं
बदरंग हो रहे हैं बगल के मकान ...... पर साँसे चल रहीं हैं इन घरों में .......
चमचमाते मकानों की गिद्ध दृष्टि लगी है ...... घरों पे ।
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