मंगलवार, 19 जुलाई 2016

गिद्ध दृष्टि

 Indu Bala Singh


सड़कें
सज रहीं हैं
नये  लिबास धारण कर  रहीं हैं
छायादार हो रहीं हैं
पैदल और दुपहियावालों को सुकून दे रहीं हैं
बदरंग हो रहे हैं बगल के मकान ...... पर साँसे चल रहीं हैं इन घरों में   .......
चमचमाते मकानों की गिद्ध दृष्टि लगी है   ......  घरों पे ।

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