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शुक्रवार, 22 जुलाई 2016
बड़ा निकम्मा है मन
- इंदु बाला सिंह
कुछ ऐसे चुभो जाते हैं कांटा .... अपने
जो निकाले नहीं निकलते
मन भी तो निकम्मा है ..... कुछ करता धरता नहीं
जितना भी समझाओ .... वह नेकी को दरिया में डालता नहीं ।
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