शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

अपना मकान


Indu Bala Singh




उनके अपने मकान ने 
बड़ा रुलाया उन्हें ...

वे भयभीत थे .... बुढ़ापे में कोई कब्जा न कर ले मकान ..... 
छूटे रिश्ते
बेटे से सहायता की आस लिये मिट गये वे
और
बेटे ...... एक दूसरे पे लगाते रहे ..... तोहमत.......
खाली हाथ आये थे वे ..... चले गये खाली हाथ ........
मकान बिक गया कौड़ियों के मोल
बेटे समझदार थे ....... 

उन्होंने अपने अपने हिस्से का पैसा रख दिया बैंक में ।

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