आज भी
पिता को रहती है आशा
पुत्र से
पुत्री से नहीं
क्योंकि पुत्र को देता है
वो नाम , जमीन ,
जायदाद
और पुत्र
बीमारी में
भी नौकर के भरोसे
छोड़ मुक्त हो
जाते हैं
निज कर्तव्य
से
लेकिन मृत्यु
शैय्या पर भी
पिता बेटे का
नाम पुकारता है
अस्पताल
में
मानो
वह उसे बचा लेगा |
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