मंगलवार, 24 जुलाई 2012

पुत्र प्रेम


आज भी
पिता को रहती है आशा
पुत्र से
पुत्री से नहीं
क्योंकि पुत्र को देता है
वो नाम , जमीन , जायदाद
और पुत्र
बीमारी में भी नौकर के भरोसे
छोड़ मुक्त हो जाते हैं
निज कर्तव्य से
लेकिन मृत्यु शैय्या पर भी
पिता बेटे का नाम पुकारता है
अस्पताल में 
मानो वह उसे बचा लेगा |

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