मंगलवार, 24 जुलाई 2012

छणिकाएं - 1

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कदम्ब फूल की पंखुरियाँ झरी
देखो सड़क पे पड़ी 
लगे ख़ूबसूरत प्रकृति की चादर
पर मानव पड़ा सड़क पे
लगे कितना वीभत्स 
हैरान मन सोंचे
ये कैसा जीवन सत्य ?

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लड़की किसी भी तरह के
कपड़ों में हो
दिन में या रात में
अगर सड़क पर
अकेली चल रही हो
और आपके मन में
गलत विचार जागृत हों
उसके प्रति
तो पशुता
आज भी जिन्दा है आपमें |

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बाप क्या मरा
दुनिया मिटी माँ की
सिक्का बदला
हुक्म चला पुत्र का
बहू बनी है रानी |


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