#इन्दु_बाला_सिंह
आँखो में सपना है
रिश्तों से महकते परिवार का
ऐसा एक परिवार जो वर्ष में एक बार जुड़ जाये
अपनों के सुख दुःख से परिचित हो
मिट्टी की महक न छूटे
अर्थ और डिग्री को परे रख ख़ाली अपनत्व की नदी के किनारे बैठें हम
प्रकृति की आर्द्रता महसूसें
दिन भर चुहल करें
हमारे बच्चे हमसे सहिष्णुता सीखें
पुरानिया के गुजरने का दुःख महासूसें
नये के आगमन का आनंद मनायें
जब तक चेतना है
तब तक चेष्टा है … स्वप्न को सत्य करने का ।
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