- इंदु बाला सिंह
ओ री !
लड़की सुन !
कितनी प्यारी है तू
तू ही तो मुद्दा है
ड्राइंग रूम का
नुक्क्ड़ का
पान की दूकान का
स्कूल डेज का
कालेज लाइफ का
ओ री !
ब्याहता लड़की सुन !
कितनी प्यारी लगती तू
जब लौट के जाती अपनी ससुराल तू
मैके का आंगन मुस्काता गमकता तेरे जाते ही
मुक्त होती भाभियां
दीर्घ सांस लेते पिता
निश्चिन्त होती माँ
तेरे घाव को लोग भूल जाते
आखिर क्यों बतियायें
अरेंज्ड मैरेज है
सारा दोष उन पर आयेगा
ओ री !
प्यारी लड़की सुन !
वापस न लौटना
तू तो बतरस की है गठरी
आखिर कोई कितना ढोये तुझे
ऐसे ही चलती है दुनिया ..........
मैं भी तो तुझसे मुक्त हुयी
तुझपे लिख के ।