रविवार, 20 सितंबर 2015

आ पल भर मौज करें



-  इंदु बाला सिंह


व्यवस्था को सुधारने से बेहतर है माहौल सुधारना
अपनी निष्क्रियता को भाग्य  का नाम दे
ईश्वर को
नहीं  कोस सकते तुम
तेरी मुट्ठी में है बन्द तेरा सुगन्धित समय
जरा पढ़   न तू
अपनी हथेली  का लेखा
अरे ओ ! निराश मन
आ चल चलें
' एलिस ' की अद्भुत दुनियां में
आ न जरा
पल भर मौज  करें । 

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