गुरुवार, 17 सितंबर 2015

तुम मुझे मिलने से रहे



-इंदु बाला सिंह

थे होगे
तुम किसी के प्यारे
हमारे लिए
तो इस व्यस्त जिंदगी में
तुम
पढ़ने लायक खबर भी नहीं
गुजर गए तुम आज किसीकी जिंदगी से
तुम्हारे कर्मकांड के बाद
तुम्हारी सम्पत्ति पाने वाला निश्चिन्त होगा
भला अखबार में पढ़ कर
तुम्हारे जाने की खबर
क्यों बर्बाद करूँ
आज
मैं अपना समय
अखबार के शीर्षक ने मुझे बता दिया-
अब तुम मुझे मिलने से रहे । 

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