सोमवार, 24 सितंबर 2018

परिवार की परिभाषा

- इंदु बाला सिंह

समय बदल रहा है...रुपये का मोल भी

पुरुष धूरी बन रहे हैं घर की

महिलाएं उनके इर्द गिर्द हैं .....

पुरुष दुकान में सामान सजा रहे है

महिला काउंटर पर सामानों की लिस्ट फीड कर रही है ...

वीसा कार्ड स्वाइप करवा रही है...

महिला की औलाद दीवार की ओर मुंह कर बैठी है और  ....अपने स्कूल का होमवर्क कर रही  है ...

घर की ही  तरह दुकानों में भी कोई इतवार नहीं होता

घर की कोई अकेली पैरेंट महिला बोझ नहीं है असेट है

शहर में परिवार की परिभाषा बदल रही है ।





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