My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी,
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रविवार, 24 मार्च 2013
सम्हलना जरा
सम्हलना जरा तुम
हर इमानदार में जग जायेगा भगत सिंह
तब कितने दिन तक कायम रहेगी
तुम्हारी ये सलतनत
मैंने हर विद्यार्थी में बोया है
इंसानियत के बीज
न डालना तुम खाद पानी
अपने कर्मों से
सोये रहने दो उस बीज को |
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