गुरुवार, 21 मार्च 2013

बंधी गांठ


आंचल के किनारे एक गांठ थी
उस कमजोर गरीब महिला के
सभी महिला बांधी रहती हैं कुछ सिक्के
यह किसी के लिये नयी बात नहीं थी
अजूबी बात तो तब हुई
जब उस महिला के मरणोपरांत
वह गांठ खुली
और
सबकी आंखे चुंधिया गयीं
उसमे हीरे के टुकड़े को देख कर
आजीवन उस औरत ने
उस टुकड़े को लोगों की नजर से बचा कर रखा था
चोरी के भय से
अब वो भयमुक्त थी |

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