शनिवार, 9 मार्च 2013

वह औरत


हर रात को
उस घर से चीखने चिल्लाने  
जोर जोर से लड़ने की
खाली महिला की आवाज सुनाई देती थी
रास्ते में टहलती दिखती थी
हर रोज वही महिला
जरूर उसका आदमी कुछ ऐसा कहता था होगा कि
क्रुद्ध हो जाती थी वो औरत
लोग मिल कर
समझौता कर के क्यों नही रहते ?
एक दिन देखी वह शाल ओढ़
मुंह नाक ढांप कर घूम रही है
किसी से पता चला
उसे असाध्य बीमारी हो गई है
फिर सुनी वो अब इस दुनिया में नही है
मुक्त हो गई वह
रोज की चख चख से
अशांति से
कभी कभी किसी को प्रतिदिन देखने से
एक अजीब सा नाता जुड़ जाता है
अब देखती हूँ
उस औरत का आदमी
एक नई औरत के साथ दिखता है
सुना है
उसने फिर से शादी कर ली है
उस औरत के मकान  में
शांति  रहती है |

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