हर रात को
उस
घर से चीखने चिल्लाने
जोर जोर से लड़ने की
खाली महिला की आवाज सुनाई देती थी
रास्ते में
टहलती दिखती थी
हर रोज वही
महिला
जरूर
उसका आदमी कुछ ऐसा कहता था होगा कि
क्रुद्ध हो जाती थी वो औरत
लोग मिल कर
समझौता
कर के क्यों नही रहते ?
एक दिन देखी वह शाल ओढ़
मुंह नाक ढांप
कर घूम रही है
किसी से पता चला
उसे असाध्य बीमारी हो गई है
फिर सुनी वो अब इस दुनिया में नही है
मुक्त हो गई
वह
रोज की चख चख
से
अशांति से
कभी कभी किसी को प्रतिदिन देखने से
एक अजीब सा नाता जुड़ जाता है
अब देखती हूँ
उस औरत का आदमी
एक नई औरत के साथ दिखता है
सुना है
उसने फिर से शादी कर ली है
उस औरत के मकान में
शांति रहती है |
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