जिन्दगी की साँझ में
पड़ोसी उत्सुक थे
देखें अब क्या करता है वो
औलाद परेशान थी
अब तो अपने पास ला कर रखना होगा
पिता को
पर
जिन्दगी भर अपना रास्ता खुद ढूंढा था उसने
अब भी ढूंढा उसने जीने का तरीका
घर में लगा ताला
आउट हॉउस में एक परिवार को मुफ्त घर मिला
मित्रों के माध्यम से नौकरी पकड़ी उसने
बुढ़ापे में मिला साथ सहकर्मियों का
अब उसे अपने शरीर की
अंतिम क्रिया की भी चिंता न थी ।
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