राह अनन्त है
ओ रे पथिक !
ले ले अनुभव
न कर इतना गुमान |
इतना क्यों हांफ रहा तू
तनिक आंख मूंद ले
तेरे असबाब की रक्षा करेगा
तेरा अपना कर्म |
हमारी राह एक है
असबाब अलग अलग वजन के
चेहरे दुसरे
उत्सुकता एक है |
धरती में मिले जो पथिक
उगे बन वृक्ष
आज छांव देते
हम राहगीरों को |
हर पल जी ले
धन्यवाद दे गुजरे पथिकों को
नया कुछ करता जा
आनेवाली पीढ़ी के लिए |