- इंदु बाला सिंह
लड़की !
तुम प्रिया नहीं , योद्धा हो
तुम्हें लड़ना है समाज की स्त्री से .... पुरुषों से ......
लड़की !
तुम सामान हो ....... तुम्हें दान कर पिता पूण्य कमाता है ......
तुम कामगर हो .... मजबूरी की प्रतीक हो ......
लड़की !
तुम पूजनीय हो ...... इंसान नहीं समझी जाओगी
तुम्हारी गलतियां क्षम्य नहीं .....
लड़की !
तुम योद्धा हो ..... तुम्हें लड़ना है ........ आजीवन लड़ना है
अपने हक के लिये लड़ना है ....... अपने अस्तित्व के लिये लड़ना है ।
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