- इंदु बाला सिंह
काट मेरे मन के कोमलतम तार
तू चाहे मैं उठा लूं आग
पर
शांतिप्रिय मन मेरा
होने न देगा पूरी तेरी आकांक्षा ........
कि
उठाई है मैंने कलम
और
उंडेल दी है उसमें पूरे मन की श्याही ।
My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी, कहानियों का पेड़, ek chouthayee akash, बोलते चित्र, Beyond Clouds, Sansmaran, Indu's World.