दखते ही
देखते
कहानी बन गई
वो
क्या पता कब
आयेगा कोई पाठक
पर आयेगा
जरुर
ईंट का काल
ज्ञात करने
कोई
पुरातत्ववेत्ता
और तब
वह जी उठेगी
वह
अपनी कहानी
में
फिर से
कक्षा में
छात्र पढेंगे उसे
उसका चरित्र
विश्लेषण करेंगे
उसे
चाहनेवालों की संख्या
अगणित होगी
अहोभाग्य !
उस कन्या का |
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