मंगलवार, 13 नवंबर 2012

भक्त जय हो तेरी !


खुद को मिलती थी
रोटी कभी खाने को
आज
गाय को रोटी खिला रहे हैं
आज धनी हो गए हैं
आखिर कैसे
जरुर किसी का दिल तोड़े होंगे
तभी तो
आज
धार्मिक बन
पाप काट रहे हैं
भक्त बने फिर रहे हैं
जय हो !
भगवान तेरे भक्तों की |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें