- इंदु बाला सिंह
चमकती आँखों से से बाँध रहे बच्चे धागे
रंग बिरंगी राखियां
खुश हैं वे
पर
स्पंदनहीन हैं ...... वे उम्रदार अकेली बहनें
जो भूल चुकी हैं ..... सौंदर्य राखी का
उनकी गरीबी ने मिटा दिया है..... उनके मन से ..... मिठास और अहसास राखी का
अमीर हो गये हैं भाई उनके ।
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