सोमवार, 29 अगस्त 2016

महाकाल की भृकुटि




- इंदु बाला सिंह



ओ उड़ीसा के दाना मांझी !
तुम्हें देख
न जाने क्यों
मुझे
याद आये
प्रिया सती  के शव को कन्धे पे लादे शिव    .........
हमारी व्यवस्था को देख
महाकाल की भृकुटि तो नहीं  तनी
कहीं वे तांडव तो नहीं कर  रहे  आज  .... मन में एक प्रश्न अंगड़ाई ले रहा है आज । 

रविवार, 28 अगस्त 2016

घर और इंसान



- इंदु बाला सिंह

होता है
जी होता है
हर घर में ऐसा होता है
एक लड़की भाग के घर बसायी होती है
एक पुरुष ने अपने भाई का हक मारा होता है
एक भाई अपनी बहन का  पैतृक हक निगल के बैठा होता है
एक जेठ  भयो के ट्रंक का ताला तोड़ तृप्त  हुआ  रहता   है
एक मर्द अपने बेटे के सुख के लिए ब्याहता  ग़रीब बेटी के सुख को  भूल  जाता  है
एक मर्द अपने सुखद भविष्य के लिए अपने माँ बाप के प्रति फ़र्ज़ भूल जाता है
एक लड़की भ्रूण हत्या कर अपना सुख ख़रीद लेती है
हर घर का  मज़बूत सदस्य अपने सुख के लिये नित नये हथकंडे अपनाता है
फिर भी
घर तो घर होता है   ........
इंसान है तो गलतियां होती हैं   ...... हर सुबह हम गलतियों को धो कर बहाते हैं
कीचड़ में ही तो आशा का कमल खिलता है   .......
होता है
भाई होता है
हर घर में ऐसा होता है । 

सोमवार, 22 अगस्त 2016

मैं खुश हूँ आज

- इंदु बाला सिंह

लो ! मैं उड़ चला
छू लिया .... मैंने बादलों को
मेरे नीचे  खड़े है आवाक्   ..... मेरे पड़ोसी .... मेरे रक्त सम्बन्धी
लो ! मैंने आज भरी मन चाही उड़ान   ...
मैं   खुश हूँ आज ।

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बुधवार, 17 अगस्त 2016

अहंकारी



-इंदु बाला सिंह


चढ़ गई प्लेन पे
बच्चा पैदा करने
फायदा उठाने
कहा तुमने   ...... और दिख गई तुम्हारी  जात
तुम क्या जानो दर्द प्रसव का ओ अहंकारी  । 

अमीर हो गये भाई



- इंदु बाला सिंह



चमकती आँखों से से बाँध रहे बच्चे धागे
रंग बिरंगी राखियां
खुश हैं वे
पर
स्पंदनहीन हैं    ...... वे उम्रदार  अकेली  बहनें
जो भूल चुकी हैं ..... सौंदर्य राखी का
उनकी गरीबी ने मिटा  दिया है..... उनके मन से    .....  मिठास और अहसास राखी का
अमीर हो गये  हैं भाई उनके । 

शनिवार, 13 अगस्त 2016

रक्तसम्बन्धी



- इंदु बाला सिंह

कायर ढूंढें
ताकत  सम्बन्ध में ...
आज मेरा मित्र  ... मेरा वक्त है
न चाहूं मैं रक्तसम्बन्धी । 

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

सच को तलाशूं मैं



- इंदु बाला सिंह

सच छुपा बैठा था मुझमें
और बावरा मैं तलाश रहा था उसे
सड़कों पे । 

मंगलवार, 2 अगस्त 2016

जिंदगी का दूसरा नाम समझौता भी है



- इंदु बाला सिंह

दिल का  हाल घायल दिल ही  पहचाने
वैसे
वह तो .....  एक सफल इंसान है   .... अकेला है ..... अपनों की ईर्ष्या का पात्र है  
क्योंकि
पढ़ लेता है वह अपने निकटस्थ का मनोभाव   ....
न जाने वह युवा कब समझेगा
कि
जिंदगी का दूसरा नाम समझौता भी है ।