My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी,
कहानियों का पेड़,
ek chouthayee akash,
बोलते चित्र,
Beyond Clouds,
Sansmaran,
Indu's World.
शुक्रवार, 24 जून 2016
बंजारे
- इंदु बाला सिंह
बैंकों ने समझाया
मां - बाप की अहमियत
खेत खलिहान की अहमियत
कोई कर्ज देने को तैयार ही न था शहर को .....
नौकरी ने समझायी
मूल गांव का अस्तित्व
वर्ना
हम तो बंजारे थे |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें