- इंदु बाला सिंह
उलझनें
सुलझायी मैंने
फुरसत के पलों में .......
टूटा न
एक भी धागा ........
काले , सफेद धागों के गोलों से भरी मेरी आलमारी
प्रेरित करती है मुझे
बनाने को स्वेटर .......
क्या तुम पहनोगे मेरे बनाये स्वेटर ?
सम्हाल के रखना तुम
मेरे स्वेटर .........
तुम्हारे आड़े वक्त पे
काम आयेंगे
ये स्वेटर ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें