सोमवार, 13 जून 2016

उलझनों के धागों का स्वेटर



- इंदु बाला सिंह


उलझनें
सुलझायी  मैंने
फुरसत के पलों  में .......
टूटा न
एक भी धागा ........
काले , सफेद धागों  के गोलों से भरी  मेरी आलमारी
प्रेरित करती है मुझे
बनाने  को स्वेटर .......
क्या तुम पहनोगे मेरे बनाये   स्वेटर ?
सम्हाल के रखना तुम
मेरे  स्वेटर  .........
तुम्हारे आड़े वक्त पे
काम आयेंगे
ये स्वेटर । 

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