-इंदु बाला सिंह
बड़ा कठिन है काटना ........ झूठ के जाले
हर सुबह बिनने लगता है इंसान .... मकड़ी सरीखा ...... जाला ..... न जाने क्यूं
वह मिटा डालता है अपनी प्रतिभा ......... एक सरल इंसान को फंसाने में ....
यह कैसा सुख है ....जो .... आत्म सुख देता है उसे .... किसी अबोध को तड़पाने में |