रात भर हम
भूखे थे
हमारे बच्चे
भूखे थे
हमारे घर की
छत उड़ गयी
जन बचाने के
लिए कहीं भी चले जायेंगे हम
समुन्दर जब शांत होगा तब लौटेंगे हम
हमलोग तो रोज
कमाने खानेवाले हैं बाबू
और वे चले गये
आँखों में फिर
लौटने की आशा लिए |My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी, कहानियों का पेड़, ek chouthayee akash, बोलते चित्र, Beyond Clouds, Sansmaran, Indu's World.