सोमवार, 3 दिसंबर 2012

शक्ति बुद्धि की


नाच ले !
बेटा !
जितना चाहे तू आज
देखना है
दम आज तेरे पैर का
और
परखना है ताकत निज मन की
मुझे तो |
जन्मदाता ही बनी दुश्मन
जब आत्मा की
तब जगाना ही है
छिपी ऊर्जा मन की
बुद्धि से बड़ी शक्ति नहीं
जग है अनुगामी बुद्धि का महसूस लो
अब ये  आवाज |

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