नाच
ले !
बेटा
!
जितना चाहे
तू आज
देखना है
दम आज तेरे
पैर का
और
परखना है
ताकत निज मन की
मुझे
तो |
जन्मदाता ही बनी दुश्मन
जब आत्मा की
तब जगाना ही है
छिपी ऊर्जा मन की
बुद्धि से बड़ी शक्ति नहीं
जग है अनुगामी बुद्धि का महसूस लो
अब
ये आवाज |
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